Sunday, February 2, 2020

भंवर लाल जी नवल की जीवनी

रैगर रतन भंवरलाल जी नवल साहब 

श्री श्री भवंरलाल नवल का जन्‍म फरवरी 1947 में नागौर जिले के ग्राम छोटी खाटू में श्री हजारीमल नवल के घर हुआ । इनकी माता का नाम श्रीमती मनोहर देवी है । श्री हजारीमल के पांच पुत्र एवं तीन पुत्रियों में से श्री भंवरलाल नवल सबसे बड़े पुत्र हैं । श्री हजारीमल की स्थिति कमजोर थी । श्री भवंरलाल नवल ने प्राथमिक एवं सैकण्‍ड्री तक की शिक्षा छोटी खाटू में ही सरकारी स्‍कूल में प्राप्‍त की । सैकण्‍ड्री स्‍कूल पास करने के बाद श्री नवल वर्ष 1964 उच्‍च शिक्षा के लिए जोधपुर गए । एस.एम.के. कॉलेज जोधपुर में दाखिला लिया । इस दौरान श्री भंवरलाल नवल रैगर समाज के श्री ज्ञानगंगा छात्रावास, नागोटी गेट में रहे । छात्रावास संस्‍थापक एवं प्रबन्‍धक स्‍वामी गोपालरामजी महाराज ने आपको भरपूर सहयोग और प्रोत्‍साहन दिया । घर की आर्थिक परिस्थितियाँ तथा पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से वर्ष 1965 पढ़ाई छोड़ कर आप वापस अपने गांव छोटी खाटू आ गए । वर्ष 1966 में आपको अध्‍यापक की नौकरी मिल गई । प्राईमरी स्‍कूल ग्राम फरड़ौद जिला नागौर में अध्‍यापक नियुक्‍त हुए । वहाँ लगभग छ: माह नौकरी की । वहाँ से नौकरी छोड़ कर राजस्‍थान राज्‍य क्रय विक्रय संघ, जयपुर में बाबू (Clerk) के पद पर नियुक्‍त हुए । नौकरी के दौरान वे आलनियावास जिला नागौर निवासी श्री धन्‍नाराम कुरड़िया के सम्‍पर्क में आए । श्री धन्‍नाराम कुरड़िया का मुम्‍बई में चमड़े से निर्मित उत्‍पादों का बहुत बड़ा कारोबार था । उनका नाम विदेशी निर्यातकों में था । श्री भंवरलाल नवल सन् 1968 में बाबू की नौकरी छोड़कर मुम्‍बई चले गए और श्री धन्‍नाराम कुरड़िया के वहाँ सेल्‍समेन लग गए । श्री भंवरलाल नवल ने अपनी मेहनत और लगन से अपने आपको एक सफल सेल्‍समेन साबित किया । इस वजह से इन्‍हें निर्यात का कार्य भी सोंप दिया गया । श्री धन्‍नाराम कुरड़िया के वहाँ दो साल नौकरी की । वहाँ से नौकरी छोड़ने के बाद अपना स्‍वयं का इसी लाईन का व्‍यापार मुम्‍बई में शुरू किया । धीरे-धीरे निर्यात के क्षेत्र में प्रवेश किया । सन् 1977 तक अपना धन्‍धा अच्‍छा जमा दिया । सन् 1977 से 1981 तक श्री भंवरलाल नवल व्‍यापार के सम्‍बंध में अमेरिका गए और वहीं रहें । वर्ष 1982-83 में ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन किया जिसे स्‍वीकार कर लिया गया । इससे श्री भंवरलाल नवल को भारत से अमेरिका आने जाने की सुविधा मिल गई । अमेरिका में चमड़े के उत्‍पदों का व्‍यापार करते हुए उनका ध्‍यान दूसरे धन्‍धे की तरफ गया । पुराने मकानों को खरीद कर उसकी मररम्‍मत करके पुर: बेचने के धन्‍धे में रूचि ली । इसमें उन्‍हें अच्‍छा लाभ मिला । आज श्री भवंरलाल नवल की रैगर समाज में प्रतिष्‍ठा शीर्ष पर है । अमेरिका में भी बड़े व्‍यापारियों की सूची में उनका नाम जुड़ गया है । वे आज कई करोड़ों के मालिक है ।
       हजारीमल मनोहरीदेवी चेरिटेबल ट्रस्‍ट- वर्ष 1994 में श्री भंवरलाल नवल ने एक ट्रस्‍ट बनाया जिसका नाम 'हजारीमल मनोहरीदेवी चेरिटेबल ट्रस्‍ट' रखा । ग्‍यारह सदस्‍यों के बोर्ड में श्री भंवरलाल नवल की माता श्रीमती मनोहरीदेवी अध्‍यक्ष है और ट्रस्‍ट का सारा कार्य श्री भंवरलाल नवल स्‍वयं देखते हैं । शेष सदस्‍यों की नियुक्ति अध्‍यक्ष द्वारा की जाती है । इस ट्रस्‍ट का उद्देश्‍य है समाज सुधार के कार्यों को प्रोत्‍साहन देना तथा शिक्षा को बढ़ावा देना । श्री नवल ने ज्‍यादातर धन सामूहिक विवाह तथा शिक्षा पर व्‍यय किया । सामूहिक विवाह का आयोजन 21 फरवरी, 2000 में दिल्‍ली में 21 जोड़ों से शुरू किया । इस आयोजन में दिल्‍ली की मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित, श्री सुरेन्‍द्रपाल रातावाल, मीरां कंवरिया तथा मोतीलाल बाकोलिया सम्मिलित हुए । दिल्‍ली निवासी श्री ज्ञानचन्‍द्र खटनावलिया ने व्‍यवस्‍था की कमान संभाली थी । इसके पश्‍चात् 7 नवम्‍बर, 2000 को नागौर में 56 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्‍पन्‍न करवाया । इसमें मुख्‍यमंत्री राजस्‍थान श्री अशोक गहलोत, श्री छोगाराम बाकोलिया मंत्री राजस्‍थान सरकार तथा स्‍वामी गोपालरामजी महाराज प्रमुख रूप से शरीक हुए । 29 जनवरी, 2001 को मुम्‍बई में 20 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्‍पन्‍न करवाया । 27 फरवरी, 2002 को जोधपुर (राज.) में 65 जोड़ों का सामूहिक विवाह ट्रस्‍ट द्वारा सफलतापूर्वक सम्‍पन्‍न करवाया गया । इसमें मुख्‍य अतिथि श्री धर्मदास शास्‍त्री पूर्व सांसद थे । 17 फरवरी, 2002 को छोटी खाटू जिला नागौर में 27 जोड़ों का सामूहिक विवाह का ट्रस्‍ट द्वारा आयोजन किया गया । इसमें श्री छोगाराम बाकोलिया मंत्री राजस्‍थान सरकार मुख्‍य अतिथि थे । वर्ष 1994 में हजारीमल मनोहरदेवी चेरिटेबल ट्रस्‍ट ने गरीब और जरूरतमंद लोगों के नि:शुल्‍क इलाज के लिए ठक्‍करबापा कॉलोनी, मुम्‍बई में चिकित्‍सालय की स्‍थापना की । यह चिकित्‍सालय वर्ष 1994 से नि नवल का जन्‍म फरवरी 1947 में नागौर जिले के ग्राम छोटी खाटू में श्री हजारीमल नवल (खटनावलिया) के घर हुआ । इनकी माता का नाम श्रीमती मनोहर देवी है । श्री हजारीमल के पांच पुत्र एवं तीन पुत्रियों में से श्री भंवरलाल नवल सबसे बड़े पुत्र हैं । श्री हजारीमल की स्थिति कमजोर थी । श्री भवंरलाल नवल ने प्राथमिक एवं सैकण्‍ड्री तक की शिक्षा छोटी खाटू में ही सरकारी स्‍कूल में प्राप्‍त की । सैकण्‍ड्री स्‍कूल पास करने के बाद श्री नवल वर्ष 1964 उच्‍च शिक्षा के लिए जोधपुर गए । एस.एम.के. कॉलेज जोधपुर में दाखिला लिया । इस दौरान श्री भंवरलाल नवल रैगर समाज के श्री ज्ञानगंगा छात्रावास, नागोटी गेट में रहे । छात्रावास संस्‍थापक एवं प्रबन्‍धक स्‍वामी गोपालरामजी महाराज ने आपको भरपूर सहयोग और प्रोत्‍साहन दिया । घर की आर्थिक परिस्थितियाँ तथा पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से वर्ष 1965 पढ़ाई छोड़ कर आप वापस अपने गांव छोटी खाटू आ गए । वर्ष 1966 में आपको अध्‍यापक की नौकरी मिल गई । प्राईमरी स्‍कूल ग्राम फरड़ौद जिला नागौर में अध्‍यापक नियुक्‍त हुए । वहाँ लगभग छ: माह नौकरी की । वहाँ से नौकरी छोड़ कर राजस्‍थान राज्‍य क्रय विक्रय संघ, जयपुर में बाबू (Clerk) के पद पर नियुक्‍त हुए । नौकरी के दौरान वे आलनियावास जिला नागौर निवासी श्री धन्‍नाराम कुरड़िया के सम्‍पर्क में आए । श्री धन्‍नाराम कुरड़िया का मुम्‍बई में चमड़े से निर्मित उत्‍पादों का बहुत बड़ा कारोबार था । उनका नाम विदेशी निर्यातकों में था । श्री भंवरलाल नवल सन् 1968 में बाबू की नौकरी छोड़कर मुम्‍बई चले गए और श्री धन्‍नाराम कुरड़िया के वहाँ सेल्‍समेन लग गए । श्री भंवरलाल नवल ने अपनी मेहनत और लगन से अपने आपको एक सफल सेल्‍समेन साबित किया । इस वजह से इन्‍हें निर्यात का कार्य भी सोंप दिया गया । श्री धन्‍नाराम कुरड़िया के वहाँ दो साल नौकरी की । वहाँ से नौकरी छोड़ने के बाद अपना स्‍वयं का इसी लाईन का व्‍यापार मुम्‍बई में शुरू किया । धीरे-धीरे निर्यात के क्षेत्र में प्रवेश किया । सन् 1977 तक अपना धन्‍धा अच्‍छा जमा दिया । सन् 1977 से 1981 तक श्री भंवरलाल नवल व्‍यापार के सम्‍बंध में अमेरिका गए और वहीं रहें । वर्ष 1982-83 में ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन किया जिसे स्‍वीकार कर लिया गया । इससे श्री भंवरलाल नवल को भारत से अमेरिका आने जाने की सुविधा मिल गई । अमेरिका में चमड़े के उत्‍पदों का व्‍यापार करते हुए उनका ध्‍यान दूसरे धन्‍धे की तरफ गया । पुराने मकानों को खरीद कर उसकी मररम्‍मत करके पुर: बेचने के धन्‍धे में रूचि ली । इसमें उन्‍हें अच्‍छा लाभ मिला । आज श्री भवंरलाल नवल की रैगर समाज में प्रतिष्‍ठा शीर्ष पर है । अमेरिका में भी बड़े व्‍यापारियों की सूची में उनका नाम जुड़ गया है । वे आज कई करोड़ों के मालिक है ।
       हजारीमल मनोहरीदेवी चेरिटेबल ट्रस्‍ट- वर्ष 1994 में श्री भंवरलाल नवल ने एक ट्रस्‍ट बनाया जिसका नाम 'हजारीमल मनोहरीदेवी चेरिटेबल ट्रस्‍ट' रखा । ग्‍यारह सदस्‍यों के बोर्ड में श्री भंवरलाल नवल की माता श्रीमती मनोहरीदेवी अध्‍यक्ष है और ट्रस्‍ट का सारा कार्य श्री भंवरलाल नवल स्‍वयं देखते हैं । शेष सदस्‍यों की नियुक्ति अध्‍यक्ष द्वारा की जाती है । इस ट्रस्‍ट का उद्देश्‍य है समाज सुधार के कार्यों को प्रोत्‍साहन देना तथा शिक्षा को बढ़ावा देना । श्री नवल ने ज्‍यादातर धन सामूहिक विवाह तथा शिक्षा पर व्‍यय किया । सामूहिक विवाह का आयोजन 21 फरवरी, 2000 में दिल्‍ली में 21 जोड़ों से शुरू किया । इस आयोजन में दिल्‍ली की मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित, श्री सुरेन्‍द्रपाल रातावाल, मीरां कंवरिया तथा मोतीलाल बाकोलिया सम्मिलित हुए । दिल्‍ली निवासी श्री ज्ञानचन्‍द्र खटनावलिया ने व्‍यवस्‍था की कमान संभाली थी । इसके पश्‍चात् 7 नवम्‍बर, 2000 को नागौर में 56 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्‍पन्‍न करवाया । इसमें मुख्‍यमंत्री राजस्‍थान श्री अशोक गहलोत, श्री छोगाराम बाकोलिया मंत्री राजस्‍थान सरकार तथा स्‍वामी गोपालरामजी महाराज प्रमुख रूप से शरीक हुए । 29 जनवरी, 2001 को मुम्‍बई में 20 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्‍पन्‍न करवाया । 27 फरवरी, 2002 को जोधपुर (राज.) में 65 जोड़ों का सामूहिक विवाह ट्रस्‍ट द्वारा सफलतापूर्वक सम्‍पन्‍न करवाया गया । इसमें मुख्‍य अतिथि श्री धर्मदास शास्‍त्री पूर्व सांसद थे । 17 फरवरी, 2002 को छोटी खाटू जिला नागौर में 27 जोड़ों का सामूहिक विवाह का ट्रस्‍ट द्वारा आयोजन किया गया । इसमें श्री छोगाराम बाकोलिया मंत्री राजस्‍थान सरकार मुख्‍य अतिथि थे । वर्ष 1994 में हजारीमल मनोहरदेवी चेरिटेबल ट्रस्‍ट ने गरीब और जरूरतमंद लोगों के नि:शुल्‍क इलाज के लिए ठक्‍करबापा कॉलोनी, मुम्‍बई में चिकित्‍सालय की स्‍थापना की । यह चिकित्‍सालय वर्ष 1994 से नि

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