श्री श्री भवंरलाल नवल का जन्म फरवरी 1947 में नागौर जिले के ग्राम छोटी खाटू में श्री हजारीमल नवल के घर हुआ । इनकी माता का नाम श्रीमती मनोहर देवी है । श्री हजारीमल के पांच पुत्र एवं तीन पुत्रियों में से श्री भंवरलाल नवल सबसे बड़े पुत्र हैं । श्री हजारीमल की स्थिति कमजोर थी । श्री भवंरलाल नवल ने प्राथमिक एवं सैकण्ड्री तक की शिक्षा छोटी खाटू में ही सरकारी स्कूल में प्राप्त की । सैकण्ड्री स्कूल पास करने के बाद श्री नवल वर्ष 1964 उच्च शिक्षा के लिए जोधपुर गए । एस.एम.के. कॉलेज जोधपुर में दाखिला लिया । इस दौरान श्री भंवरलाल नवल रैगर समाज के श्री ज्ञानगंगा छात्रावास, नागोटी गेट में रहे । छात्रावास संस्थापक एवं प्रबन्धक स्वामी गोपालरामजी महाराज ने आपको भरपूर सहयोग और प्रोत्साहन दिया । घर की आर्थिक परिस्थितियाँ तथा पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से वर्ष 1965 पढ़ाई छोड़ कर आप वापस अपने गांव छोटी खाटू आ गए । वर्ष 1966 में आपको अध्यापक की नौकरी मिल गई । प्राईमरी स्कूल ग्राम फरड़ौद जिला नागौर में अध्यापक नियुक्त हुए । वहाँ लगभग छ: माह नौकरी की । वहाँ से नौकरी छोड़ कर राजस्थान राज्य क्रय विक्रय संघ, जयपुर में बाबू (Clerk) के पद पर नियुक्त हुए । नौकरी के दौरान वे आलनियावास जिला नागौर निवासी श्री धन्नाराम कुरड़िया के सम्पर्क में आए । श्री धन्नाराम कुरड़िया का मुम्बई में चमड़े से निर्मित उत्पादों का बहुत बड़ा कारोबार था । उनका नाम विदेशी निर्यातकों में था । श्री भंवरलाल नवल सन् 1968 में बाबू की नौकरी छोड़कर मुम्बई चले गए और श्री धन्नाराम कुरड़िया के वहाँ सेल्समेन लग गए । श्री भंवरलाल नवल ने अपनी मेहनत और लगन से अपने आपको एक सफल सेल्समेन साबित किया । इस वजह से इन्हें निर्यात का कार्य भी सोंप दिया गया । श्री धन्नाराम कुरड़िया के वहाँ दो साल नौकरी की । वहाँ से नौकरी छोड़ने के बाद अपना स्वयं का इसी लाईन का व्यापार मुम्बई में शुरू किया । धीरे-धीरे निर्यात के क्षेत्र में प्रवेश किया । सन् 1977 तक अपना धन्धा अच्छा जमा दिया । सन् 1977 से 1981 तक श्री भंवरलाल नवल व्यापार के सम्बंध में अमेरिका गए और वहीं रहें । वर्ष 1982-83 में ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन किया जिसे स्वीकार कर लिया गया । इससे श्री भंवरलाल नवल को भारत से अमेरिका आने जाने की सुविधा मिल गई । अमेरिका में चमड़े के उत्पदों का व्यापार करते हुए उनका ध्यान दूसरे धन्धे की तरफ गया । पुराने मकानों को खरीद कर उसकी मररम्मत करके पुर: बेचने के धन्धे में रूचि ली । इसमें उन्हें अच्छा लाभ मिला । आज श्री भवंरलाल नवल की रैगर समाज में प्रतिष्ठा शीर्ष पर है । अमेरिका में भी बड़े व्यापारियों की सूची में उनका नाम जुड़ गया है । वे आज कई करोड़ों के मालिक है ।
हजारीमल मनोहरीदेवी चेरिटेबल ट्रस्ट- वर्ष 1994 में श्री भंवरलाल नवल ने एक ट्रस्ट बनाया जिसका नाम 'हजारीमल मनोहरीदेवी चेरिटेबल ट्रस्ट' रखा । ग्यारह सदस्यों के बोर्ड में श्री भंवरलाल नवल की माता श्रीमती मनोहरीदेवी अध्यक्ष है और ट्रस्ट का सारा कार्य श्री भंवरलाल नवल स्वयं देखते हैं । शेष सदस्यों की नियुक्ति अध्यक्ष द्वारा की जाती है । इस ट्रस्ट का उद्देश्य है समाज सुधार के कार्यों को प्रोत्साहन देना तथा शिक्षा को बढ़ावा देना । श्री नवल ने ज्यादातर धन सामूहिक विवाह तथा शिक्षा पर व्यय किया । सामूहिक विवाह का आयोजन 21 फरवरी, 2000 में दिल्ली में 21 जोड़ों से शुरू किया । इस आयोजन में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, श्री सुरेन्द्रपाल रातावाल, मीरां कंवरिया तथा मोतीलाल बाकोलिया सम्मिलित हुए । दिल्ली निवासी श्री ज्ञानचन्द्र खटनावलिया ने व्यवस्था की कमान संभाली थी । इसके पश्चात् 7 नवम्बर, 2000 को नागौर में 56 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्पन्न करवाया । इसमें मुख्यमंत्री राजस्थान श्री अशोक गहलोत, श्री छोगाराम बाकोलिया मंत्री राजस्थान सरकार तथा स्वामी गोपालरामजी महाराज प्रमुख रूप से शरीक हुए । 29 जनवरी, 2001 को मुम्बई में 20 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्पन्न करवाया । 27 फरवरी, 2002 को जोधपुर (राज.) में 65 जोड़ों का सामूहिक विवाह ट्रस्ट द्वारा सफलतापूर्वक सम्पन्न करवाया गया । इसमें मुख्य अतिथि श्री धर्मदास शास्त्री पूर्व सांसद थे । 17 फरवरी, 2002 को छोटी खाटू जिला नागौर में 27 जोड़ों का सामूहिक विवाह का ट्रस्ट द्वारा आयोजन किया गया । इसमें श्री छोगाराम बाकोलिया मंत्री राजस्थान सरकार मुख्य अतिथि थे । वर्ष 1994 में हजारीमल मनोहरदेवी चेरिटेबल ट्रस्ट ने गरीब और जरूरतमंद लोगों के नि:शुल्क इलाज के लिए ठक्करबापा कॉलोनी, मुम्बई में चिकित्सालय की स्थापना की । यह चिकित्सालय वर्ष 1994 से नि नवल का जन्म फरवरी 1947 में नागौर जिले के ग्राम छोटी खाटू में श्री हजारीमल नवल (खटनावलिया) के घर हुआ । इनकी माता का नाम श्रीमती मनोहर देवी है । श्री हजारीमल के पांच पुत्र एवं तीन पुत्रियों में से श्री भंवरलाल नवल सबसे बड़े पुत्र हैं । श्री हजारीमल की स्थिति कमजोर थी । श्री भवंरलाल नवल ने प्राथमिक एवं सैकण्ड्री तक की शिक्षा छोटी खाटू में ही सरकारी स्कूल में प्राप्त की । सैकण्ड्री स्कूल पास करने के बाद श्री नवल वर्ष 1964 उच्च शिक्षा के लिए जोधपुर गए । एस.एम.के. कॉलेज जोधपुर में दाखिला लिया । इस दौरान श्री भंवरलाल नवल रैगर समाज के श्री ज्ञानगंगा छात्रावास, नागोटी गेट में रहे । छात्रावास संस्थापक एवं प्रबन्धक स्वामी गोपालरामजी महाराज ने आपको भरपूर सहयोग और प्रोत्साहन दिया । घर की आर्थिक परिस्थितियाँ तथा पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से वर्ष 1965 पढ़ाई छोड़ कर आप वापस अपने गांव छोटी खाटू आ गए । वर्ष 1966 में आपको अध्यापक की नौकरी मिल गई । प्राईमरी स्कूल ग्राम फरड़ौद जिला नागौर में अध्यापक नियुक्त हुए । वहाँ लगभग छ: माह नौकरी की । वहाँ से नौकरी छोड़ कर राजस्थान राज्य क्रय विक्रय संघ, जयपुर में बाबू (Clerk) के पद पर नियुक्त हुए । नौकरी के दौरान वे आलनियावास जिला नागौर निवासी श्री धन्नाराम कुरड़िया के सम्पर्क में आए । श्री धन्नाराम कुरड़िया का मुम्बई में चमड़े से निर्मित उत्पादों का बहुत बड़ा कारोबार था । उनका नाम विदेशी निर्यातकों में था । श्री भंवरलाल नवल सन् 1968 में बाबू की नौकरी छोड़कर मुम्बई चले गए और श्री धन्नाराम कुरड़िया के वहाँ सेल्समेन लग गए । श्री भंवरलाल नवल ने अपनी मेहनत और लगन से अपने आपको एक सफल सेल्समेन साबित किया । इस वजह से इन्हें निर्यात का कार्य भी सोंप दिया गया । श्री धन्नाराम कुरड़िया के वहाँ दो साल नौकरी की । वहाँ से नौकरी छोड़ने के बाद अपना स्वयं का इसी लाईन का व्यापार मुम्बई में शुरू किया । धीरे-धीरे निर्यात के क्षेत्र में प्रवेश किया । सन् 1977 तक अपना धन्धा अच्छा जमा दिया । सन् 1977 से 1981 तक श्री भंवरलाल नवल व्यापार के सम्बंध में अमेरिका गए और वहीं रहें । वर्ष 1982-83 में ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन किया जिसे स्वीकार कर लिया गया । इससे श्री भंवरलाल नवल को भारत से अमेरिका आने जाने की सुविधा मिल गई । अमेरिका में चमड़े के उत्पदों का व्यापार करते हुए उनका ध्यान दूसरे धन्धे की तरफ गया । पुराने मकानों को खरीद कर उसकी मररम्मत करके पुर: बेचने के धन्धे में रूचि ली । इसमें उन्हें अच्छा लाभ मिला । आज श्री भवंरलाल नवल की रैगर समाज में प्रतिष्ठा शीर्ष पर है । अमेरिका में भी बड़े व्यापारियों की सूची में उनका नाम जुड़ गया है । वे आज कई करोड़ों के मालिक है ।
हजारीमल मनोहरीदेवी चेरिटेबल ट्रस्ट- वर्ष 1994 में श्री भंवरलाल नवल ने एक ट्रस्ट बनाया जिसका नाम 'हजारीमल मनोहरीदेवी चेरिटेबल ट्रस्ट' रखा । ग्यारह सदस्यों के बोर्ड में श्री भंवरलाल नवल की माता श्रीमती मनोहरीदेवी अध्यक्ष है और ट्रस्ट का सारा कार्य श्री भंवरलाल नवल स्वयं देखते हैं । शेष सदस्यों की नियुक्ति अध्यक्ष द्वारा की जाती है । इस ट्रस्ट का उद्देश्य है समाज सुधार के कार्यों को प्रोत्साहन देना तथा शिक्षा को बढ़ावा देना । श्री नवल ने ज्यादातर धन सामूहिक विवाह तथा शिक्षा पर व्यय किया । सामूहिक विवाह का आयोजन 21 फरवरी, 2000 में दिल्ली में 21 जोड़ों से शुरू किया । इस आयोजन में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, श्री सुरेन्द्रपाल रातावाल, मीरां कंवरिया तथा मोतीलाल बाकोलिया सम्मिलित हुए । दिल्ली निवासी श्री ज्ञानचन्द्र खटनावलिया ने व्यवस्था की कमान संभाली थी । इसके पश्चात् 7 नवम्बर, 2000 को नागौर में 56 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्पन्न करवाया । इसमें मुख्यमंत्री राजस्थान श्री अशोक गहलोत, श्री छोगाराम बाकोलिया मंत्री राजस्थान सरकार तथा स्वामी गोपालरामजी महाराज प्रमुख रूप से शरीक हुए । 29 जनवरी, 2001 को मुम्बई में 20 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्पन्न करवाया । 27 फरवरी, 2002 को जोधपुर (राज.) में 65 जोड़ों का सामूहिक विवाह ट्रस्ट द्वारा सफलतापूर्वक सम्पन्न करवाया गया । इसमें मुख्य अतिथि श्री धर्मदास शास्त्री पूर्व सांसद थे । 17 फरवरी, 2002 को छोटी खाटू जिला नागौर में 27 जोड़ों का सामूहिक विवाह का ट्रस्ट द्वारा आयोजन किया गया । इसमें श्री छोगाराम बाकोलिया मंत्री राजस्थान सरकार मुख्य अतिथि थे । वर्ष 1994 में हजारीमल मनोहरदेवी चेरिटेबल ट्रस्ट ने गरीब और जरूरतमंद लोगों के नि:शुल्क इलाज के लिए ठक्करबापा कॉलोनी, मुम्बई में चिकित्सालय की स्थापना की । यह चिकित्सालय वर्ष 1994 से नि
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